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तहरीर मुक़द्दर की मिटाई न गई / रमेश तन्हा

 
तहरीर मुक़द्दर की मिटाई न गई
थी रेत की दीवार उठाई न गई
उन से भी कोई कदम बढ़ाया न गया
हम से भी कोई बात सुनाई न गई।