एक क़िंदील काफ़ी है । उसकी मद्धिम रोशनी
ज़्यादा मौजूँ होगी, ज़्यादा रमणीय
जब रंगतें उभरेंगी...
प्यार की रंगतें उभरेंगी ।
एक क़िंदील काफ़ी है । आज रात कमरे में
ज़्यादा रोशनी नहीं चाहिए । ख़ूब ख़्वाबो-ख़याली
भरपूर शिद्दत और मद्धिम रोशनी—
इस ख़ूब ख़्वाबो-ख़याली से मैं सवाँरूँगा नज़्ज़ारे—
ताकि रंगतें उभरें । प्यार की रंगतें उभरें ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल