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ताजमहल / अर्चना जौहरी

कहाँ गए वह हाथ
जो प्रेम के सर्वोत्तम मानक की बुनियाद में थे
जो रच गये इतिहास
दे गए हमें प्रेम-निष्ठां, समर्पण और वचनबद्धता के चरम का प्रमाण
ताजमहल
और बता गए दुनिया को कि प्रेम
प्रेम ऐसे किया जाता है
अपनी प्रेयसी के बहाने दुनिया को
प्रेम का उपहार दिया जाता है
साथ ही खोल गए एक भेद और भी
कि प्रेम करने वाले सबसे प्रेम नहीं करते
प्रेम नहीं करते उन हाथों से
जो उनके प्रेम की इबारत
दीवारों पर लिखते हैं
उनके प्रेम का ताजमहल गढ़ते हैं
वो प्रेम नहीं करते उन रोटियों से
जो कितने ही घरों में
उस दिन से बननी बंद हो गयीं
वो प्रेम नहीं करते उन आँखों से
जो अपने प्रियतम के कटे हाथों
को निहार कर पथरा गयीं थीं
वो प्रेम नहीं करते
नन्हे बच्चों के गालों के उस स्पर्श से
जो उन्हें उनके पिता के हाथों से मिलता
वो प्रेम नहीं करते
आने वाले कल की उन उम्मीदों से
जो किसी के अहम की सलीब पर
चढ़ा दी गयीं
एक झूठे प्रेम की बलिबेदी पर
सदा के लिए सुला दी गयीं
प्रेम करने वाले
सबसे प्रेम नहीं करते