रोज़ ही उबाकें
रोज़ ही उल्टियाँ ख़ून की
हाँफती सुबह का
रोज़ ही बैठ जाना सिर पकड़कर नाली के पास –
अख़बार !
तुम आओ कि न आओ
तुम्हारी दुर्गन्ध आ ही जाती है..!
रोज़ ही उबाकें
रोज़ ही उल्टियाँ ख़ून की
हाँफती सुबह का
रोज़ ही बैठ जाना सिर पकड़कर नाली के पास –
अख़बार !
तुम आओ कि न आओ
तुम्हारी दुर्गन्ध आ ही जाती है..!