Last modified on 12 अप्रैल 2019, at 19:36

ताल कहरवा बाजे निशदिन / उमेश कुमार राठी

ताल कहरवा बाजे निशदिन
आयी द्वार बहार
राग बिहाग सुनाओ साजन
करके प्यार गुहार

याद तुम्हारी आयी प्रीतम
अश्क़ किये बरसात
शाम ढले ही घिर आया तम
कैसी ये सौगात
चैन मिलेगा कोमल दिल को
पाकर लाड़ दुलार
राग बिहाग सुनाओ साजन
करके प्यार गुहार

देह नदी में होती कलकल
बढ़ता रक्त प्रवाह
कर देता जीवन में हलचल
अक्सर सिक्त विवाह
रीत रिवाज़ करें कुछ अनबन
उठती पीर अपार
राग बिहाग सुनाओ साजन
करके प्यार गुहार

लिखते लिखते प्रेमिल पाँती
सिसकी आयी रात
रोक न पायी नेहिल हिचकी
रूठ गये जज़्बात
शब्द वियोग पिरोयी विरहन
लिखके रूह पुकार
राग बिहाग सुनाओ साजन
करके प्यार गुहार

सिलने पर होती है सिहरन
सुख दुख के पैबंद
धुँधलाता जीवन का दर्पण
अभिमुख रहता कुंद
जब भी होता मन में क्रंदन
उठता दर्द ग़ुबार
राग बिहाग सुनाओ साजन
करके प्यार गुहार

बाबुल की चिंता मिट जाये
जल्दी हों परिणीत
आकुल दिल का गम घट जाये
शादी हो मनमीत
डोली में होगा अभिवंदन
लाओ संग कहार
राग बिहाग सुनाओ साजन
करके प्यार गुहार