ताल में
तैरती हैं
अंग के अनंग की
मछलियाँ
गाँव के गले में
पड़ा है
धुआँ
नीलकंठी अभिशाप
आँखों में करकता है।
रचनाकाल: २०-०३-१९७०
ताल में
तैरती हैं
अंग के अनंग की
मछलियाँ
गाँव के गले में
पड़ा है
धुआँ
नीलकंठी अभिशाप
आँखों में करकता है।
रचनाकाल: २०-०३-१९७०