धूप चढ़ चुकी
जिस हद तक चढ़ सकती थी
मैदानी घासों पर
गोल बाँधकर, लोग
ताश खेल रहे हैं
ताश के पत्ते पिट रहे हैं
माथे पर लोगों के
लकीरें सिकुड़ती
दूध पीते बच्चे की शक्ल में
बदल रही हैं
धूप उतर जाएगी जब
ताश के पत्ते गर्म हाथों से
छोड़ दिये जाएँगे
लकीरें तब औरत की साड़ी पर
नज़र आएँगी
यही पत्ते तय करेंगे
उनका रेशमी या सूती होना ।