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तितली / ब्लेज़ सान्द्रार / अनिल जनविजय

देखो तो ज़रा !
दो दिनों से हम चल रहे समुद्र किनारे
पर एक पंछी भी नहीं दिखा
नहीं उड़ा कोई पास हमारे

और आज सवेरे
सुबह-सुबह ही
पहुँचे जब रिओ खाड़ी में
हथेली बराबर आई एक तितली उड़कर
और लगाने लगी हमारे जलयान के चक्कर

नीले-काले पंखों वाली प्यारी-प्यारी
नीली-बैंगनी चित्तेदार
 तितली थी वो बड़ी ही न्यारी ।

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय