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तितली दाइ / रामदेव झा

तितली दाइ हे तितली दाइ
फूले सब पर उड़ि उड़ि जाइ।
पुनि फूले पर बैसी जाय
फूलक रस पिबि मन न अघाय।
रंग-विरंगक सुन्दर पाँखि
देखै लय दोड़ै अछि आँखि।
लाल पियर चितकबरा रंग
कारी धारी बुनका संग।
अँह बैसब, हम पहुँचब दौड़ि
पकड़ब नहि, बस करब खेलौड़ि।
अहाँ बहिन छी, हम छी भाइ
भाइ-बहिन मे किए लड़ाइ।
तितली दाइ हे तितली दाइ
फूले सब पर उड़ि उड़ि जाइ।