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तिनका हौ / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

तिनका हो तिनका! टुट जैतो
ई बड़का के
हस्ती हहा हो,
तोहर खून पसीना से नहा हो
जे तों
मेंहनत से जौर करऽ हा
से ओकर तड़का कहा हो
नै चलतो गुटबाजी, गुट जैतो
तिनका हो तिनका! टुट जैतो
जब तक डरा हा
तब तक डरा हा
अपना में जौर नै हा
इहे दुख के घर हो
सहर के गुंबज
ऊंचा हो रहलो हे,
तोर उजड़ रहलो हे
जे भी टटगर हो
जे दिन
तोहर जत्था-जुट जैतो
तिनका हो तिनका! टूट जैतो
मौने हो जाना
तोहर मजबूरी हो
जेकरा में बसल
तोहर श्रम के मजदूरी हो
उल्टे आँख देखा के तन जाहो
तोरो कहाँ
हाथ में चूरी हो
तहूं तेवरी तमकाबो
दुश्मन के आँख फूट जैतो
गुदरी के गरदा
अब झारैले पड़तो,
ई महल के गंुबज
अब उखाड़ै ले पड़तो
बखत ऐलो हे
तनी तंनो त बढ़ियाँ से
दुस्मन के
ललकारै ले पड़तो
तब छल के छक्का छुट जैतो
तिनका हो तिनका! टुट जैतो।