अरी, ओ!
मेरी अपाहज सदी
ऊंघती न रह जाना
तेरे बुरे दिनों में
एक बाज़ार के बहरूपिये
तेरे द्वार आयेंगे_
तेरे द्वार आयेंगे
और तेरे बच्चों के हाथों मे
झुनझुने देकर
उनके सपने
छीन ले जायेंग़े
अरी, ओ!
मेरी अपाहज सदी
ऊंघती न रह जाना
तेरे बुरे दिनों में
एक बाज़ार के बहरूपिये
तेरे द्वार आयेंगे_
तेरे द्वार आयेंगे
और तेरे बच्चों के हाथों मे
झुनझुने देकर
उनके सपने
छीन ले जायेंग़े