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तीन पहिए वाली सायकल / नरेन्द्र जैन

देखता हूँ
तीन पहिये वाली सायकल
अकेली खड़ी है यहाँ

अभी दो बच्चे सवार थे इस पर
चौकोर छत पर
दौड़ रही थी तीन पहिये वाली सायकल

चालक बहुत ख़ुश था
और
यात्री कह रहा था बार-बार
एक आने में
बम्बई दिल्ली आगरा

हिलाता हाथ हवा में
झुककर पहियों की गति देखता
पैडल मार रहा था लगातार
यात्रा में मस्त चालक
चलो भाई चलो
एक आने में दिल्ली...

सड़कें
पगडंडियाँ
जंगली रास्ते आते थे और
गुज़र जाते थे
कस्बे गाँव शहर रफ़्तार
गति में डूबी एक यात्रा
एक बहुत लम्बी यात्रा से
लौट कर उतरे यात्री अपनी
तीन पहिये वाली
सायकल से

कल फिर
इसी समय
रवाना होगी
अपने गंतव्य की तरफ़
तीन पहिये वाली सायकल