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तीन मंत्र / हरेराम बाजपेयी 'आश'

आओ मित्रो तुम्हें बताएँ तीन मंत्र व्यवहार के,
जिनके जपने से मिल जाएँ सुख सारे संसार के।

पहला मंत्र निरोगी काया,
वैद्य डॉक्टर ने बतलाया,
रात को जल्दी ही सो जाओ,
प्रात: भी जल्दी उठ जाओ,
तेल मिर्च से बचो निरंतर,
हरी सब्जीयाँ खप जीभर,
पानी हरदम छान के पीना,
सौ बरस तक हँसते जीना,
बीड़ी-सिगरेट, शराब तम्बाकू
ये रास्ते मौत के द्वार के।
आओ मित्रो तुम्हें॥1॥

दूजा मंत्र है शिक्षा, दीक्षा,
पढ़ा लिखा न माँगे भिक्षा,
विद्या धन से सब धन आएँ,
इज्जत, शोहरत बढ़ती जाएँ।
शिक्षा का अधिकार सभी को,
नर-नारी में, भेद नहीं हो,
पढ़ी लिखी हो जिस घर नारी,
वहाँ न कोई हो बीमारी,
जो भी विद्या मन्दिर आए,
सुख पाए संसार॥2॥

तीसरा मंत्र अब तुम्हें बताएँ
जिसको सभी लोग अपनाएँ
माता-पिता, बड़ों का मानये
ये ऊँचे जैसे आसमान
सच्चा मित्र वही होता है
संकट में जो संग होता है
जननी-जन्म भूमि को समझो
गुण गाओ भारत राष्ट्र के।
आओ मित्रो तुम्हें बताए॥3॥