तुमने देखी शिष्ट
सुशीला अपनी
और नारी का
यूँ ही-सा मान
हिम्मत और बढ़ी तुम्हारी
मिल लेते
आप-मुहारी उस औरत से
जो चौराहे की
काली स्लेट पर
सफ़ेद चॉक से
लिख देती है हर सुबह
कुछ नाम नए.
तुमने देखी शिष्ट
सुशीला अपनी
और नारी का
यूँ ही-सा मान
हिम्मत और बढ़ी तुम्हारी
मिल लेते
आप-मुहारी उस औरत से
जो चौराहे की
काली स्लेट पर
सफ़ेद चॉक से
लिख देती है हर सुबह
कुछ नाम नए.