तुमसे मिले और बतियाए हमने पँख नए से पाए । फक्कड़, अक्खड़पन जो खोया अब लगता धरती में बोया तुमने कुछ इस तरह उकेरा पिछले दिन हो गए सवाए । हमें लगा धरती-नभ अपना बिछुड़न कालखण्ड था सपना भेंट-वार्ता के प्यारे क्षण कितनी ताक़त लेकर आए !