कल का तुम्हारा
इतना खुश चेहरा
भूल नहीं पाऊँगा
जो भीतर-ही-भीतर
स्वीकार करता प्यार को
उत्फुल्ल हो उठा था
और जिस पर
दुख की आड़ी-तिरछी
तमाम लकीरों के बीच
रात्रि का एक
सुदूर उदित
तारा लिखा था ।
कल का तुम्हारा
इतना खुश चेहरा
भूल नहीं पाऊँगा
जो भीतर-ही-भीतर
स्वीकार करता प्यार को
उत्फुल्ल हो उठा था
और जिस पर
दुख की आड़ी-तिरछी
तमाम लकीरों के बीच
रात्रि का एक
सुदूर उदित
तारा लिखा था ।