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तुम्हारा हाथ
अपने हाथ में लेता हूँ
और फिर देर तक उसे
ध्यान से देखता रहता हूँ
मीठी अनुभूतियों से भरी तुम
आँखें झुकाए बैठी हो
इन हाथों में
तुम्हारा सारा जीवन
समाया हुआ है
महसूस कर रहा हूँ मैं
तुम्हारे शरीर की अगन
और डूब रहा हूँ
तुम्हारी आत्मा की गहराइयों में
और भला क्या चाहिए ?
सुखद हो सकता है क्या जीवन
इससे अधिक ?
पर
ओ देवदूत विद्रोही
हम परवानों पर झपटने वाला है
वह तूफ़ान
सनसना रहा है जो दुनिया के ऊपर
मौत का संदेश लेकर
(1898)
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय