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तुम्हारा हाथ थामे-थामे / मदन कश्यप

तुम्हारा हाथ थामे-थामे
पार कर लूँगा तमाम सारे दुर्गम रास्ते
जंगल की छाती पर
उगती चली आएंगी पगडंडियाँ
कंटीली झाड़ियाँ
नरम दूब की तरह तलुए सहलाएँगी
अंधेरे को चीरती चली जाएगी तुम्हारी हँसी
पर्वत के शिखर से शिखर पर लगाऊँगा छलांग
तुम्हारा हाथ थामे-थामे

सागर की लहरों पर स्केटिंग करूँगा
डालफिन के मुँह से छूटे फव्‍वारे के साथ
ऊँचे उछल जाऊँगा
इतना तेज भागूँगा
कि पीछा करते नसें फट जाएंगी कार्ललुईस की

महानाग थोड़ा-सा झुका देगा फण
और उस पर पाँव रखकर
फाँद जाऊँगा क्षीर-समुद्र
महाबराह का दात पकड़कर
झूल जाऊँगा अंतरिक्ष में
तुम्हारा हाथ थामे-थामे

दौड़ूंगा तो छोटी पड़ जाएगी पृथ्वी
उड़ूंगा तो कम पड़ेगा आसमान
डूबकी लगाऊँगा
प्रतिपदार्थों के कृष्णविवर में
और एकदम साबुत बच निकल जाऊँगा
तुम्हारा हाथ थामे-थामे

सातों नदियों का जल तुम्हारी आँखों में
सातों सुरों का सारांष तुम्हारे स्वर में
सातों छेदों में तुम्हारा अक्स
मैं पार कर लूंगा
सातों द्वीप
सातों समुद्र
सातों लोक
सातों आसमान
तुम्हारा हाथ थामे-थामे!