रचनाकार=अलका सर्वत मिश्रा संग्रह= }} साँचा:KKCatkavita
ये है
मुझे पददलित करने की
तुम्हारी एक और कोशिश
पर ये कामयाब नहीं होगी
बहुत झेले हैं
बरसों से
तुम्हारी बातें, तुम्हारी चालें
तमाम सरकारी आश्वासनों जैसे
तुम्हारे नुस्खे
दबने की एक सीमा होती है
जब दबाव ज्यादा हो जाए
तो फट जाता है
ज्वालामुखी
और समेट लेता है
अपनी आग में
हजारों बस्तियों को
हजारों शहरों को
और फिर
बस राख बचती है
जश्न मनाने के लिए .