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तुम्हारी याद / शोभना 'श्याम'

तुम्हारी याद को
अच्छी तरह तहा कर
रख दिया था
अलमारी के सबसे
ऊपर वाले खाने में
कि खोला करूँगी
सिर्फ़ फ़ुर्सत के पलों में
लेकिन हुआ यह
कि जब भी
अति व्यस्ततम क्षणों में
हड़बड़ा कर
झटके से खोली अलमारी
वह तहाई हुई याद
ठीक मेरे सामने
पट से गिरी
खुल गयीं तहें
और बंद हो गयी मैं
अतीत की तहों में।