||एक||
यूँ ही रख दिया
चांदनी बयार ने अपना हाथ
अमलतास के कन्धों पर
पीले फूलों से भर गया अमलतास
महक उठा चन्दन-सा
कल तक उदास था
आज खिल उठा अमलतास
||दो||
अँधेरे जंगलों में
रूखा-सूखा खड़ा था बांस
बढ़े दो हाथ
तराशा-संवारा
अधरों से लगाया
बज उठे बांस
||तीन||
पुस्तकों के पृष्ठों में
बंदी थे शब्द
कोमल उँगलियों ने खोल दी जंजीरें
पुस्तकों से निकल आये शब्द
अधरों ने गुनगुनाये
गीत बन गूँज उठे शब्द