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तुम्हारे आने के पहले / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

एवरेस्ट-सी तैयारियाँ की हैं मैंने तुम्हारे आने से पहले ।

तुम एक तनी हुई चोटी हो ।
ज़ख़्म को सहलाने वाली हवाएँ
तुम्हारी त्वचा से छन कर आती हैं ।
मैं तुम्हारी दस्तकें पहचान गया हूँ
जो मुझे पहाड़ियों के पार
भीनी घाटियों में उठा ले जाती हैं ।

अभी-अभी तो वे बर्बर तानाशाह यहाँ आए थे
जिनकी बन्दूकों से भयाक्रान्त पक्षी
लहलहाते मैदानों को छोड़कर भाग गए हैं ।

ओह, युवती, तुम एक समुद्री द्वीप हो
अनन्त नीलिमा में तिरती हुई
                      धरती की हरियाली ।
तुमसे टकराकर
एक क्षुब्ध, दहाड़ता, हाँफता सागर
थिर होता है ।