हे प्राण,
जो तुम न होते तो
क्या होता तुम्हारे उस पार?
प्रश्न की सुई हर बार यहीं अटकती है,
एक गहन सन्नाटे के साथ।
हे प्राण,
तुम न होते तो गहन सन्नाटा होता
तुम्हारे उस पार।
हे प्राण,
जो तुम न होते तो
क्या होता तुम्हारे उस पार?
प्रश्न की सुई हर बार यहीं अटकती है,
एक गहन सन्नाटे के साथ।
हे प्राण,
तुम न होते तो गहन सन्नाटा होता
तुम्हारे उस पार।