Last modified on 20 सितम्बर 2011, at 11:01

तुम्हारे और मेरे बीच / नंदकिशोर आचार्य


तुम्हारे और मेरे बीच
एक सेतु है
- शब्द-सेतु -
किन्तु उस का सीमेन्ट झर गया है
और सभी शब्द एक-दूसरे से
अलग-थलग पड़े हैं
हमें वहन करने में असमर्थ।

तुम्हारे और मेरे बीच
एक कपोत उड़ता है
- राग-कपोत -
पर उस के पंख झुलस गये हैं
और अपनी ही चोंच से खुजला-खुजला कर
उस ने अपने बदन में घाव कर लिये हैं।

तुम्हारे और मेरे बीच
बनती जा रही है
गहरी खाइयों वाली
बर्फ की एक विशाल नंगी झील
जिसे के निचे दबे जा रहे
हमारे सूरज में
वह ताब नहीं
जो उसे पिघला सके

और बर्फ है कि
गिरती जा रही है ......

(1968)