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तुम्हारे होने की / सांवर दइया

पैरों तले धरती है
सिर पर खुला आकाश
है चारों तरफ खुली हवा
हवा कि जिस में
है तुम्हारे होने की सुगंध

कहीं भी जाऊं
तुम हो साथ मेरे
तब मुझे डर किस बात का !


अनुवाद : नीरज दइया