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तुम्हारे होने से पाया / सुधीर सक्सेना

जिस तरह
धन के लिए धन प्लस धन
अथवा ऋण प्लस ऋण का ऋणी है धन
जिस तरह ओषजन और उद्जन का
ऋणी है पानी का कतरा,
जिस तरह अपने अस्तित्व के लिए
पंक का ऋणी है पंकज,
पतंग उड़ने के लिए ऋणी है डोर की
और डोर उस कारीगर की,
जिसने काँच का लेप लगा
नंगी उँगलियों से सूता माँझा

ऋणी है जिस तरह
प्रक्षेपण का परिक्रमा-पथ में प्रक्षेपित उपग्रह,
जिस तरह हथेलियों की ऋणी हैं तालियाँ,
ऋणी हैं जिस तरह लय के गीत,
जिस तरह मंचन के कथानक,
जिस तरह कैनवास के ऋणी हैं रंग

ऋणी हूँ मैं तुम्हारा
कि तुम्हारे होने से
मेरे होने ने पाया
होने का अनहोना अर्थ