केन नदी से दूर-बहुत दूर
मैं बैठा हूँ-
खिन्न नतमुख, उदास;
न आएगी यहाँ मेरी नदी-
न कोई उसकी लहर।
तुम्हीं आओ न
मेरी नदी के-
उच्छल, अधीर, लहरों के
कल्लोल
कगार पर छाप मारती हुई
उच्छल, अधीर, लहरों के
हिल्लोल
रचनाकाल: २१-१०-१९७०
केन नदी से दूर-बहुत दूर
मैं बैठा हूँ-
खिन्न नतमुख, उदास;
न आएगी यहाँ मेरी नदी-
न कोई उसकी लहर।
तुम्हीं आओ न
मेरी नदी के-
उच्छल, अधीर, लहरों के
कल्लोल
कगार पर छाप मारती हुई
उच्छल, अधीर, लहरों के
हिल्लोल
रचनाकाल: २१-१०-१९७०