तुम्हें समर्पित सम्बोधन से, गीत अमर हो जाते हैं,
रात, दिवस, संध्या भी जिनमें, तुम्हें हमेशा गाते हैं।
युग-युग तक गाई जाएगी,
अमर प्रेम की अमर कहानी,
शामिल जिसमें नटखट बचपन,
और मचलती हुई जवानी,
मुखड़े में सिर को सहलाते, बंधों में दुलराते हैं।
तुम्हें हमेशा गाते हैं।
ठंडी-ठंडी पवन मुझे जब,
नेहिल संगीत सुनाती है,
राग, ताल, रख; 'भवि' अधरों पर,
अधरों से नेह जगाती है।
बादल मनमोहक धुन सुनकर, स्नेह सुरा बरसाते हैं।
तुम्हें हमेशा गाते हैं।
हरे, गाजरी परिधानों में,
जब तस्वीर तुम्हारी देखूँ।
दिल पर चलती सम्मोहन की,
मीठी तेज़ कटारी देखूँ।
साथ सुनहरी यादें लेकर, चाँद-सितारे आते हैं॥