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तुम अपना धीरज मत खोना / उर्मिलेश

तुम अपना धीरज मत खोना
यदि मैं शहीद हो जाऊँ तो
तुम भूले से भी मत रोना।

हैं वही पत्नियाँ वीरों की
जो डर कर कभी नहीं जीतीं
पति के विछोह से आहत हो
घुट घुट कर अश्रु नहीं पीतीं

सबकी किस्मत में कहाँ लिखा
सेनानी की विधवा होना।

तुम जब सुहाग जोड़ा पहने
मेरी यादों में आती हो
सिन्दूर और बिंदी से सज
जब मंद मंद। मुस्काती हो

मैं और वेग से लड़ता हूँ
कर देतीं तुम जादू टोना।

तुम "करवा चौथ" मना लेना
मेरा फ़ोटो सम्मुख रखकर
चन्दा से यही मांगना तुम
मेरा पति जीते शीघ्र समर

मैं जाग रहा हूँ सीमा पर
तुम वहाँ नींद सुख की सोना।