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तुम आज़ाद हो / विश्वासी एक्का

कोयल ! तुम कूक सकती हो
क्या गर्मी क्या बरसात ।

आम की डालियाँ ही नहीं
हर वो पेड़ जो
झूमने लगता है
हवा के संग
फूलों से, फलों से लद जाता है
जी लेता है सम्पूर्णता का जीवन ।

तुम्हारे मधुरम गीतों में
भरा है जीवन का राग
तुम आज़ाद हो ।

गाओ खूब गाओ
तुम्हें तो पता है
बसन्त कभी ख़त्म नहीं होता ।