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तुम जाओ / अनिरुद्ध उमट

तुम जाओ
करनी है ठंडी
राख
मुझे

रखनी है
पलकों पर

तुम जाओगे नहीं तो
लौटोगे कैसे

तुम्हें लिखी जाती इबारत
पढ़ोगे कैसे

ज़रा दूर
जाओ

बाक़ी है
आँच
अभी