तुम नदी हो
सदानीरा
हम तुम्हारे घाट, सजनी
उम्र भर भीगे
तुम्हारी छुवन से हम
ताप आये
साँस तब भी रही पुरनम
रात भर
पूनो नहाई
कल तुम्हारे घाट, सजनी
सभी ऋतुओं में हमें
तुमने दुलारा
चिर-कुँवारी है
तुम्हारी नेह-धारा
दिन वसंती भी
तुम्हारी
जोहते हैं बाट, सजनी
हम रहे थे रेत
तुमने छुआ - फूले
आयेंगे पतझर कभी
यह बात भूले
पाई लय तुमसे
हुए हम
गीत के सम्राट, सजनी