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तुम नहाकर आ गए / पीयूष शर्मा

दर्द की काली बदरिया पर उजाले छा गए।
लग रहा है चाँदनी में तुम नहाकर आ गए।

आँख में शाकुंतलम है,
होंठ पर है माधुरी।
रंग तुम से ले रही है,
फूल की हर पाँखुरी।
देखकर तुमको प्रणय के, गीत भँवरे गा गए।

चूमती है पाँव माहुर,
गेसुओं में बदलियाँ।
जब हंसी हो तुम अदा से,
चमचमाईं बिजलियाँ।
देवता भी देख तुमको, रास्ता भरमा गए।

हो तुम्हीं मेरी तपस्या,
और तुम ही वंदना।
हो तुम्हीं वैराग मेरा,
और तुम ही साधना।
तुम हृदय की वाटिका में रोशनी बिखरा गए।