तुम बादल बन बरसोगे
भले वर्षा
तेज़ाबी हो
स्वीकार्य है हमें
ये परिस्थितिजन्य
विवशता है
इसे
नपुंसकता से भी
कह सकते हैं।
04.07.97
तुम बादल बन बरसोगे
भले वर्षा
तेज़ाबी हो
स्वीकार्य है हमें
ये परिस्थितिजन्य
विवशता है
इसे
नपुंसकता से भी
कह सकते हैं।
04.07.97