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तुम मुझको याद करोगी / अजमल सुल्तानपुरी

तुम्हारे आँगन में बरसात लिए जब सावन आएगा
तुम्हारी फुलवारी में जब आकर भौंरा मंडलाएगा
तुम मुझको याद करोगी...

जो मेरी याद सताएगी नींद बैरन हो जाएगी
डसेगी नागन बन के रात आँख आँसू बरसाएगी
तुम मुझको याद करोगी...

घटाएँ घिर-घिर आएँगी बहारें फिर-फिर आएँगी
कमी होगी मेरी महसूस तो नींदें उड़-उड़ जाएँगी
तुम मुझको याद करोगी...

सुनोगी मेरे ज़ख्मी गीत चेहरा ज़र्द हो जाएगा
जब आएगा 'अजमल का' नाम उठेगा मीठा-मीठा दर्द
तुम मुझको याद करोगी...