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तुम मुझ में / रेखा चमोली

तुम
जैसे नीले फूलों का एक गुच्छा

जैसे नहरें
दूर तलक जीवन देतीं

पत्तियों संग लुका-छिपी खेलती धूप
 
बनती-बिगडती लहरों संग
गतिमान नदी की खिलखिलाहट

जंगली गुलाबों की ख़ुशबू में
रची-बसी हवा

मेहनती खुरदुरे हाथों परोसी
नमक-रोटी

एक कुशल रंगरेज

तुम मुझमें
निरन्तर लिखी जा रही कविता हो ।