तुम में है
सागर की गहराई
आसमान की ऊँचाई
पहाड़ की अटलता
धरती-सी सहनशीलता
सूर्य की उष्णता
दुर्गा की शक्ति
सतत बहते झरने की निर्मलता
फिर कहाँ से आई दुर्बलता।
और कहलाती हो अबला
तुम में है
सागर की गहराई
आसमान की ऊँचाई
पहाड़ की अटलता
धरती-सी सहनशीलता
सूर्य की उष्णता
दुर्गा की शक्ति
सतत बहते झरने की निर्मलता
फिर कहाँ से आई दुर्बलता।
और कहलाती हो अबला