कोई नदी हूँ मैं
और तुम
तुम मेरा चाँद
तुम्हें पाने की
लाख कोशिशों के बाद
जान चुका हूँ
हम कभी साथ नहीं होंगे
पर तुम चाहे
कितना ही रोक लो
नहीं रोक पाओगी
इन यादों को
जो दिल में लिए बैठा हूं
और हां
भूलना मत
जब रात होती है
तुम वहां भी होती हो
यहां भी
मेरे साथ
ठीक वैसे ही
जैसे चाँद को हर रात
नदी की
सतह पर
आना पड़ता है
हां एक भरम की ही तरह
पर तुम संग तो हो
काफी है