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तुम मेरे जीवन-आकाश में / अज्ञेय

 तुम मेरे जीवन-आकाश में मँडराता हुआ एक छोटा-सा मेघपुंज हो।
तुम तन्वंगी हो, तुम लचीली और तरल हो, तुम शुभ्र और नश्वर हो।
जीवन में आनन्द-लाभ के लिए जिन-जिन उपकरणों की आवश्यकता है, वे सभी तुम में उपस्थित हैं।
फिर भी, तुम मेरे जीवन-आकाश में मँडराता हुआ एक छोटा मेघपुंज मात्र हो!

दिल्ली जेल, 1 मार्च, 1933