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तुम मेरे लिए नहीं... / केदारनाथ अग्रवाल

तुम मेरे लिए नहीं हो-- न हो सकती हो

कि मैं अंगुलियों से हवाएँ काटता रहता हूँ

ख़ुशनसीब हैं वह उड़ते चले जा रहे पखेरुओं के जोड़े

मेरी दिशा से ठीक विपरीत जिनकी दिशाएँ हैं ।