तुम म्हारी नौका धीमी चलो / निमाड़ी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

    तुम म्हारी नौका धीमी चलो,
    आरे म्हारा दीन दयाला

(१) जाई न राम थाड़ा रयाँ,
    जमना पयली हो पारा
    नाव लावो रे तुम नावड़ा
    आन बैगा पार उतारो....
    तुम म्हारी........

(२) उन्डी लगावजै आवली,
    उतरा ठोकर मार
    सोना मड़ाऊ थारी आवली
    रूपया न को रास....
    तुम म्हारी........

(३) निरबल्या मोहे बल नही,
    मोहे फेरा घड़ावो राम
    म्हारा कुटूंम से हाऊ एकलो
    म्हारो घणो परिवार....
    तुम म्हारी........

(४) बिना पंख को सोरटो,
    आरे पंछी चल्यो रे आकाश
    रंग रूप वो को कुछ नही
    लग भुख नी प्यास....
    तुम म्हारी........

(५) कहत कबीर धर्मराज से,
    आरे हाथ ब्रम्हा की झारी
    जन्म.जन्म का हो दुखयारी
    राखो लाज हमारी....
    तुम म्हारी........

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