विध्वंस के कगार पर
स्तब्ध खड़ी
सेनाओं के मध्य
तुम हँस सके
मैं इसी से मानती हूँ कृष्ण!
तुम अवतार थे
मनुष्य नहीं थे
प्रभु थे
विध्वंस के कगार पर
स्तब्ध खड़ी
सेनाओं के मध्य
तुम हँस सके
मैं इसी से मानती हूँ कृष्ण!
तुम अवतार थे
मनुष्य नहीं थे
प्रभु थे