Last modified on 12 मई 2017, at 16:19

तुम ही होते हो रिक्त / दिनेश जुगरान

उदासी हो
या प्रफुल्लता
तुम अपने को ही गवाँतेहो
दोनों स्थितियों में
तुम ही होते हो रिक्त
हर बार
और यदि नहीं जुड़े
दोनों से तुम
फिर जुड़ जाओगे
अपने अंदर के जगत से
बाहर से जुड़े तो
टूटोगे भीतर से
अपने से टूटे
तो विरह
जुड़ गए अपने से
तो योग