Last modified on 15 मार्च 2018, at 10:05

तुलपन / नरेन्द्र कठैत

नीलू खोळ
जगा-जगा उधड़्यूं
काळु सफेद
अर धुवण्यां रुवां
जख-तख छटग्येणू
हे रां!
स्यू बिचारु
क्य बिछौणू
क्य ओड़णू ह्वलू
ला धौं रे!
जरा स्यूण धागू
अफार ये सरगै
यिं फटीं गदेली मा
तुरपन कर्दू ।