तुलसी का नन्हा-सा पौधा
पत्तों से है हरा भरा,
ऊपर उठी हुई मंजरियाँ
मानो सिर पर मुकुट धरा।
दादी इसमें पानी देती
कहती हैं जल दिया गया,
नमस्कार करती संध्या को
रखती जलता एक दिया।
ऑक्सीज़न का झरना है यह
पर्यावरण स्वच्छ रखता,
वह पवित्र पौधा है सबके
मन में भक्तिभाव भरता।
इसके जैसा जीवन कर लें
हम समदर्शी बन जाएँ,
बदबू के झंडे उखाड़ दें
अपनी ही खुशबू फैलाएँ।