चारों ओर अमंगल होगा
आधे घर में जंगल होगा
अब की बरस बाँध-पानी में
अन्तरधर्मी टक्कर होगी
अपना ज़ोर आजमाएँगे
साँझ-सकारे, योगी-भोगी,
ऐसा ही कुछ दंगल होगा
इच्छाओं के सिरहाने से
उमड़-घुमड़ कर भावुक भाषा
जीवन की, श्रम की, जीवट की
रच देगी ऐसी परिभाषा
बल में छल का संबल होगा
चारों ओर अमंगल होगा