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तूतनख़ामेन के लिए-29 / सुधीर सक्सेना

अब कभी

जिओगे नहीं तुम,

कभी भी नहीं जिओगे

तुम तूतनख़ामेन !


एक भी बार नहीं

धड़केगा तुम्हारा हृदय,

एक भी बार नहीं

कँपकँपाएंगे तुम्हारे होंठ,

एक भी बार राजदण्ड नहीं

थामेंगे तुम्हारे हाथ,

एक भी क़दम नहीं चलेंगे अब

तुम्हारे पाँव ।


अब एक भी शिकन नहीं

आएगी तुम्हारे ललाट पर

अब एक भी बार नहीं उठेंगी

तुम्हारी मुंदी हुई पलकें,

अब एक बार भी

नहीं फड़केंगे तुम्हारे नासा-पुट ।


जिओगे नहीं तुम,

जिओगे नहीं

आसरा छोड़ो

काल का

तूतनख़ामेन !