तुम जिए
और ज़िन्दगी जी तुमने भरपूर
ज़िन्दगी की
आँखों में आँखें डालकर
जिए आज में
और सोची कल की
भूलकर
कि काल को भी नहीं पता
कल का पता-ठिकाना ।
तुम जिए
और ज़िन्दगी जी तुमने भरपूर
ज़िन्दगी की
आँखों में आँखें डालकर
जिए आज में
और सोची कल की
भूलकर
कि काल को भी नहीं पता
कल का पता-ठिकाना ।