तूने अच्छे खेल खिलाये!
खेल तुझे हो, हमने तो इसमें दुख-ही-दुख पाये
जब भी हमने राग मिलाया
जुड़ा मंडली, सुर में गाया
क्रूर काल ने फण फैलाया
सारे ठाठ उड़ाए
जाने कैसी आतुरता थी
उठ-उठ गए बीच से साथी
सब सपने की-सी माया थी
हम जिस पर इतराये
सुख पाता तू हमें सताके
या कि सो गया सृष्टि रचाके
कुछ तो बता--'बंधु वे बाँके
गए कहाँ, क्यों आये'
तूने अच्छे खेल खिलाये!
खेल तुझे हो, हमने तो इसमें दुख-ही-दुख पाये