Last modified on 4 जुलाई 2017, at 13:44

तू कहाँ है? / रामनरेश पाठक

तू कहाँ है,
गीत ?

शुष्क मरू की एक पीड़ा
तू सजल था,
शून्य मन की एक गाथा
तू मधुर था,
तप्त पथ पर का सुधानिधि
तू कहाँ है,
मीत ?

दिग-दिगन्तों ध्वनि-प्रतिध्वनि
ढूंढती मुझको,
आ, तुझे भेंटूं हृदय भर
युगों के बिछड़े मिलें दो,
ओ, शिला की चेतना, आ,
गा,
कहाँ है तू,
गीत ?